माँ
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ये दौलत, ये शोहरत और ये गुमाँ छोड़ देना।
कुछ ना बस मेरे हिस्से में मेरी माँ छोड़ देना।
जन्नत, इबादत, खुदा,दुआ हमनें कहाँ देखी है?
सारी हसरतें और शुकूँ के लिए मैंने माँ देखी है।
माँ तेरे बिना ये दुनिया वैसी ही लगती है जैसे,
जिस्म छोड़ दी किसी ने और जान ले ली हो।
थक कर वो शुकून तेरी आँचल में मिलता है,
दुनिया दे दी किसी ने और पहचान ले ली हो।
ना कोई मजहब और ना कोई धाम चाहिए।
ना मस्जिद,मंदिर और ना कोई राम चाहिए।
सब कुछ ले लो मुझ से बिना किसी शर्त के,
बस मेरी जिन्दगी में बस मेरी माँ चाहिए।
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~~~राजेश कुमार
गोरखपुर(उत्तर प्रदेश)
दिनांक:-16/01/2024
©Rajesh Kumar
#Hill