एक जज़्बा सा जगा है मन में, कुछ अधूरे सपनों को हवा | हिंदी Shayari

"एक जज़्बा सा जगा है मन में, कुछ अधूरे सपनों को हवा दी है हमने। देखें जरा कितनी रंग लाती है मेहनत, कोशिश करने में कोई कसर छोड़ी नही है हमने। उमंग जो उठी है मन में ये कलम को, अपना साथी बनाने की । मेहनत देखें जरा कहा तक ले जाती है। मिलता रहे बस यूं ही आप सब का प्यार और साथ हमेशा, बस यही प्रार्थना रब से की है हमने। ©Labhanshi Agrawal(writer)"

 एक जज़्बा सा जगा है मन में,
कुछ अधूरे सपनों को हवा दी है हमने।
देखें जरा कितनी रंग लाती है मेहनत,
कोशिश करने में कोई कसर छोड़ी नही है हमने।
उमंग जो उठी है मन में ये कलम को,
अपना साथी बनाने की ।
मेहनत देखें जरा कहा तक ले जाती है।
मिलता रहे बस यूं ही आप सब का 
प्यार और साथ हमेशा,
बस यही प्रार्थना रब से  की है हमने।

©Labhanshi Agrawal(writer)

एक जज़्बा सा जगा है मन में, कुछ अधूरे सपनों को हवा दी है हमने। देखें जरा कितनी रंग लाती है मेहनत, कोशिश करने में कोई कसर छोड़ी नही है हमने। उमंग जो उठी है मन में ये कलम को, अपना साथी बनाने की । मेहनत देखें जरा कहा तक ले जाती है। मिलता रहे बस यूं ही आप सब का प्यार और साथ हमेशा, बस यही प्रार्थना रब से की है हमने। ©Labhanshi Agrawal(writer)

#उमंग #Poetry

#Umang

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