यू ही कभी बैठे-बैठे
खुद से ही खुद मन रूठ जाता है
कभी उदास हो जाता है
कभी ऊब जाता है मन
कल तक जो थे सबसे प्यारे
उनसे ही दूर चला जाता है मन
यू ही ऐसे ही रूठ जाता है मन
यू तो चंचल बंदर है मन
फिर भी न जाने क्यों मन
चहता सदा अमन अमन
©ashish gupta
#RIPHUMANITY
यू ही कभी बैठे-बैठे
खुद से ही खुद मन रूठ जाता है
कभी उदास हो जाता है
कभी ऊब जाता है मन
कल तक जो थे सबसे प्यारे
उनसे ही दूर चला जाता है मन
यू ही ऐसे ही रूठ जाता है मन