#Yaad
न मन्नत न कोई दुवा चाहिये
मुझे अपनों से फासला चाहिये
मजा ले रहा हूँ जो भी जुल्म हो
उन्हे क्या पता क्या सजा चाहिये
उजालों में सबकी नजर खुल गई
दीया जल रहा है हवा चाहिये
बफा ने बनाया यह बदहाल अब
मुझे हो सके बेबफा चाहिये
मैं रोया था जब जब हँसे सारे लोग
अरे रोने में भी कला चाहिये
©आवाज शर्मा 'बाला'
न मन्नत न कोई दुवा चाहिये
#Yaad