इस अंधेरे सैलाब से
मेरे सीने की आग से
तुम कैसे मुझे बचाओगे ?
निज चेतन के अनुभाग से
हृदय के अनुराग से
तुम कैसे मुझे बचाओगे ?
मंद छिड़े मृदु राग से
वैरागी से वैराग से
तुम कैसे मुझे बचाओगे?
क्रोध के द्विज भाग से
अहम के इस नाग से
तुम कैसे मुझे बचाओगे?
©शून्य
आत्मचिंतन
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