इस अंधेरे सैलाब से मेरे सीने की आग से तुम कैसे मुझ | हिंदी Shayari

"इस अंधेरे सैलाब से मेरे सीने की आग से तुम कैसे मुझे बचाओगे ? निज चेतन के अनुभाग से हृदय के अनुराग से तुम कैसे मुझे बचाओगे ? मंद छिड़े मृदु राग से वैरागी से वैराग से तुम कैसे मुझे बचाओगे? क्रोध के द्विज भाग से अहम के इस नाग से तुम कैसे मुझे बचाओगे? ©शून्य"

 इस अंधेरे सैलाब से
मेरे सीने की आग से
तुम कैसे मुझे बचाओगे ?

निज चेतन के अनुभाग से
हृदय के अनुराग से
तुम कैसे मुझे बचाओगे ?

मंद छिड़े मृदु राग से
वैरागी से वैराग से
तुम कैसे मुझे बचाओगे?

क्रोध के द्विज भाग से
अहम के इस नाग से
तुम कैसे मुझे बचाओगे?

©शून्य

इस अंधेरे सैलाब से मेरे सीने की आग से तुम कैसे मुझे बचाओगे ? निज चेतन के अनुभाग से हृदय के अनुराग से तुम कैसे मुझे बचाओगे ? मंद छिड़े मृदु राग से वैरागी से वैराग से तुम कैसे मुझे बचाओगे? क्रोध के द्विज भाग से अहम के इस नाग से तुम कैसे मुझे बचाओगे? ©शून्य

आत्मचिंतन
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