मैं सिर्फ खुदा की रचना हूं!
( Read in caption )
मैं कोई नदी नहीं जो भावनाओं में बह जाऊं,
मैं कोई पहाड़ नहीं जो एक जगह अड़ी रह जाऊं।
मैं कोई फूल नहीं जो नाज़ुक सी बनकर रह जाऊं,
मैं कोई कांटा नहीं जो किसी को भी चुभ जाऊं।
मैं कोई खुशबू नहीं जो किसी भी स्थान में भर जाऊं,
मैं कोई मुश्क नहीं जो किसी की नफरत का कारण बन जाऊं।
मैं कोई धरा नहीं जो हर ग़म बेवजह सहती चली जाऊं,
मैं कोई आकाश नहीं जो खुली हवा सी बहती चली जाऊं।