बे ज़ुबानी‌ मेरा जुर्म था कैद मेरा मुकद्दर बनी ऐ इ | हिंदी Quotes

"बे ज़ुबानी‌ मेरा जुर्म था कैद मेरा मुकद्दर बनी ऐ इंसान:::::: तेरे एक थोड़े से तमाशे में मेरी उम्र गुज़र गई::::::::::::🖤🥺 ©Farukh Maniyar"

 बे ज़ुबानी‌ मेरा जुर्म था कैद मेरा मुकद्दर बनी ऐ इंसान::::::

तेरे एक थोड़े से तमाशे में मेरी उम्र गुज़र गई::::::::::::🖤🥺

©Farukh Maniyar

बे ज़ुबानी‌ मेरा जुर्म था कैद मेरा मुकद्दर बनी ऐ इंसान:::::: तेरे एक थोड़े से तमाशे में मेरी उम्र गुज़र गई::::::::::::🖤🥺 ©Farukh Maniyar

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