जब अपने घरों से दूर,एक छोटे से कमरे को , तुम अपना | हिंदी कविता

"जब अपने घरों से दूर,एक छोटे से कमरे को , तुम अपना घर बना लेते हो, दोस्तों से थोड़ी कम बातें और किताबों से घंटो बतियाना सीख जाते हो जब तुम्हे अपने सपने से इश्क हो जाता है और जब घंटो किताबों में सर खफाना , तेरी मजबूरी नहीं,बल्कि जुनून बन जाता है तब तू हर पल अपने सपनों के करीब होता जाता है मगर,.....मगर जब तुझे अपनों की याद आती है आंखों के आसूं से किताबों के पन्ने जब भींग जाती है और तब,,तब तू जैसे खुद को समझाता है बस कुछ पल की बात है, ये दिलासा जब तू खुद को खुद से ही दे जाता है तब तुझे मालूम भी नही पड़ता ,, कि तू कितना सबल होता जाता है मगर,जब तुझे याद आए अपनों की जब तू बाते करना चाहे,अपनों से अपने सपनो की तो थोड़ा उनसे जरूर बतियाना माना कि आसमान तेरा होगा, मगर अपनी जमीं से दिल लगाना न भूल जाना ये जिंदगी है,कभी राहें पथरीली,तो कभी आसान भी मिलेंगे मगर मेहनत कर,,,, देखना तेरी मेहनत से,बंजर जमीं में भी फूल खिलेंगे थोड़ी परेशानी है ,थोड़ा है अंधियारा कल सब सही होगा,आएगा एक नया सबेरा हिम्मत रख एक दिन सब सही होगा मेहनत करता जा.... देखना जो तू चाहता है ,एक दिन वही होगा ©Sonali Singh"

 जब अपने घरों से दूर,एक छोटे से कमरे को ,
तुम अपना घर बना लेते हो,
दोस्तों से थोड़ी कम बातें
और किताबों से घंटो बतियाना सीख जाते हो
जब तुम्हे अपने सपने से इश्क हो जाता है
और जब घंटो किताबों में सर खफाना ,
तेरी मजबूरी नहीं,बल्कि जुनून बन जाता है 
तब तू हर पल अपने सपनों के  करीब होता जाता है
मगर,.....मगर जब तुझे अपनों की याद आती है
आंखों के आसूं से किताबों के पन्ने जब भींग जाती है
और तब,,तब तू जैसे खुद को समझाता है
बस कुछ पल की बात है,
ये दिलासा जब तू खुद को खुद से ही दे जाता है
तब तुझे मालूम भी नही पड़ता ,,
कि तू कितना सबल होता जाता है
मगर,जब तुझे याद आए अपनों की
जब तू बाते करना चाहे,अपनों से अपने सपनो की
तो थोड़ा उनसे जरूर बतियाना
माना कि आसमान तेरा होगा,
मगर अपनी जमीं से दिल लगाना न भूल जाना
ये जिंदगी है,कभी राहें पथरीली,तो कभी आसान भी मिलेंगे
मगर मेहनत कर,,,,
 देखना तेरी मेहनत से,बंजर जमीं में भी फूल खिलेंगे
 थोड़ी परेशानी है ,थोड़ा है अंधियारा
 कल सब सही होगा,आएगा एक नया सबेरा
 हिम्मत रख एक दिन सब सही होगा
 मेहनत करता जा....
 देखना जो तू चाहता है ,एक दिन वही होगा

©Sonali Singh

जब अपने घरों से दूर,एक छोटे से कमरे को , तुम अपना घर बना लेते हो, दोस्तों से थोड़ी कम बातें और किताबों से घंटो बतियाना सीख जाते हो जब तुम्हे अपने सपने से इश्क हो जाता है और जब घंटो किताबों में सर खफाना , तेरी मजबूरी नहीं,बल्कि जुनून बन जाता है तब तू हर पल अपने सपनों के करीब होता जाता है मगर,.....मगर जब तुझे अपनों की याद आती है आंखों के आसूं से किताबों के पन्ने जब भींग जाती है और तब,,तब तू जैसे खुद को समझाता है बस कुछ पल की बात है, ये दिलासा जब तू खुद को खुद से ही दे जाता है तब तुझे मालूम भी नही पड़ता ,, कि तू कितना सबल होता जाता है मगर,जब तुझे याद आए अपनों की जब तू बाते करना चाहे,अपनों से अपने सपनो की तो थोड़ा उनसे जरूर बतियाना माना कि आसमान तेरा होगा, मगर अपनी जमीं से दिल लगाना न भूल जाना ये जिंदगी है,कभी राहें पथरीली,तो कभी आसान भी मिलेंगे मगर मेहनत कर,,,, देखना तेरी मेहनत से,बंजर जमीं में भी फूल खिलेंगे थोड़ी परेशानी है ,थोड़ा है अंधियारा कल सब सही होगा,आएगा एक नया सबेरा हिम्मत रख एक दिन सब सही होगा मेहनत करता जा.... देखना जो तू चाहता है ,एक दिन वही होगा ©Sonali Singh

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