बरसते बरसात की बात निराली हैं, गम के आंसू छिपाती ह | हिंदी शायरी Video

"बरसते बरसात की बात निराली हैं, गम के आंसू छिपाती हैं, सुखी धरती की तपती मिट्टी को, भिगोकर सुगंधित बनाती हैं। ©Amit vadgama "

बरसते बरसात की बात निराली हैं, गम के आंसू छिपाती हैं, सुखी धरती की तपती मिट्टी को, भिगोकर सुगंधित बनाती हैं। ©Amit vadgama

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