जय जय हो मात चंद्रघंटा। पाप दलन को धरती घंटा।। ध्य | हिंदी Poetry

"जय जय हो मात चंद्रघंटा। पाप दलन को धरती घंटा।। ध्यान लगाए जो नर-नारी। इच्छा उसकी पूरित सारी।। बाजे जब-जब माँ का घंटा। भूत-प्रेत को लगता डंटा।। स्मरण मात्र से देती सिद्धि। नर-नारी पाते समृद्धि।। ©Bharat Bhushan pathak"

 जय जय हो मात चंद्रघंटा।
पाप दलन को धरती घंटा।।
ध्यान लगाए जो नर-नारी।
इच्छा उसकी पूरित सारी।।
बाजे जब-जब माँ का घंटा।
भूत-प्रेत को लगता डंटा।।
स्मरण मात्र से देती सिद्धि।
नर-नारी पाते समृद्धि।।

©Bharat Bhushan pathak

जय जय हो मात चंद्रघंटा। पाप दलन को धरती घंटा।। ध्यान लगाए जो नर-नारी। इच्छा उसकी पूरित सारी।। बाजे जब-जब माँ का घंटा। भूत-प्रेत को लगता डंटा।। स्मरण मात्र से देती सिद्धि। नर-नारी पाते समृद्धि।। ©Bharat Bhushan pathak

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