दर्द दिल का जब कभी भी दिल में रुक ना पाता है,
बन के बस इक गीत तब ये इन लबों पे आता है
मैंने पूछा दौर क्यों गुज़रा हमारे प्यार का,
उसने बोला दौर तो इक दिन गुज़र ही जाता है
क्या क्या कहता है ना जाने कहने को तो हर कोई,
प्यार केवल कहने भर से ख़त्म ना हो जाता है
मुँह घुमा कर हमसे तुम क्यों चुप्पी साधे बैठे हो,
आपकी चुप्पी के कारण मन ये बैठा जाता है
कॉल या मैसेज करने की मनाही तो है बस,
प्रेमी दिल ये कह के हमसे मेल भी करवाता है
रखके अपना सिर मेरे कंधों पे जब तुम सोती थी,
बस में गुजरा वक़्त वो क्या तुमको भी याद आता है
होना क्या है कल के दिन ये है भला किसको पता,
सोच कर 'चिन्मय' यही बेफ़िक्र जीता जाता है
©Devesh Pandey 'Chinmay'
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