White आत्म~सम्मान कभी-कभी हमें अपनों से ऐसी बात | हिंदी विचार

"White आत्म~सम्मान कभी-कभी हमें अपनों से ऐसी बातें सुनने को मिल जाती हैं जिससे अपनापन खत्म हो जाता है और बातें बड़ी हो जाती हैं क्योंकि जख्म बेशक भर जाए निशान कभी नहीं जाता निशान हमें हमेशा उस दर्द की याद दिलाता है रिश्ता कितना ही बड़ा हो पर आत्म~सम्मान पर जब ठेस पहुंचती है तो सारे रिश्ते पिछे पर हो जाते हैं क्योंकि हम तन्हा आए थे तन्हा ही जाना है गम को साथी बना या खुशी को हमें खुद ही इसे निभाना है रिश्ते बनाने के लिए जलील होना आत्म सम्मान को ठेस पहुंचाने जैसा है क्योंकि अपनी आत्मा से पवित्र और कोई अपना नहीं..। ©Pinky Mishra"

 White आत्म~सम्मान 

कभी-कभी हमें अपनों से
 ऐसी बातें सुनने को मिल जाती हैं 
जिससे अपनापन खत्म हो जाता है 
और बातें बड़ी हो जाती हैं 
क्योंकि जख्म बेशक भर जाए
 निशान कभी नहीं जाता
 निशान हमें हमेशा उस दर्द की याद दिलाता है 
रिश्ता कितना ही बड़ा हो पर 
आत्म~सम्मान पर जब ठेस पहुंचती है 
तो सारे रिश्ते पिछे पर हो जाते हैं 
क्योंकि हम तन्हा आए थे तन्हा ही जाना है
 गम को साथी बना या खुशी को 
हमें खुद ही इसे निभाना है 
रिश्ते बनाने के लिए जलील होना 
आत्म सम्मान को ठेस पहुंचाने जैसा है 
क्योंकि अपनी आत्मा से पवित्र और कोई  अपना नहीं..।

©Pinky Mishra

White आत्म~सम्मान कभी-कभी हमें अपनों से ऐसी बातें सुनने को मिल जाती हैं जिससे अपनापन खत्म हो जाता है और बातें बड़ी हो जाती हैं क्योंकि जख्म बेशक भर जाए निशान कभी नहीं जाता निशान हमें हमेशा उस दर्द की याद दिलाता है रिश्ता कितना ही बड़ा हो पर आत्म~सम्मान पर जब ठेस पहुंचती है तो सारे रिश्ते पिछे पर हो जाते हैं क्योंकि हम तन्हा आए थे तन्हा ही जाना है गम को साथी बना या खुशी को हमें खुद ही इसे निभाना है रिश्ते बनाने के लिए जलील होना आत्म सम्मान को ठेस पहुंचाने जैसा है क्योंकि अपनी आत्मा से पवित्र और कोई अपना नहीं..। ©Pinky Mishra

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