अब कुछ तो कह दो हद में रहकर कुछ भी ना जाने क्यूं द | हिंदी कविता

"अब कुछ तो कह दो हद में रहकर कुछ भी ना जाने क्यूं दिल बेचैन अरमां बेसब्र हुए जाते हैं तुम्हारी बातें मैंने कहां कभी की है करीब आने की दुहाई कहां दी है दिल में कहीं मुझे महफूज़ रहने दो जिक्र में ना लाओ कोई बात नहीं #कृष्णार्थ ©KRISHNARTH"

 अब कुछ तो कह दो
हद में रहकर कुछ भी
ना जाने क्यूं दिल बेचैन
अरमां बेसब्र हुए जाते हैं

तुम्हारी बातें मैंने कहां कभी की है
करीब आने की दुहाई कहां दी है
दिल में कहीं मुझे महफूज़ रहने दो
जिक्र में ना लाओ कोई बात नहीं

#कृष्णार्थ

©KRISHNARTH

अब कुछ तो कह दो हद में रहकर कुछ भी ना जाने क्यूं दिल बेचैन अरमां बेसब्र हुए जाते हैं तुम्हारी बातें मैंने कहां कभी की है करीब आने की दुहाई कहां दी है दिल में कहीं मुझे महफूज़ रहने दो जिक्र में ना लाओ कोई बात नहीं #कृष्णार्थ ©KRISHNARTH

#अरमाँ

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