सूखे हुए गुल पे बैठकर गुलिस्तान रो पड़े। जब कोई इं | हिंदी शायरी

"सूखे हुए गुल पे बैठकर गुलिस्तान रो पड़े। जब कोई इंसान मारा गया तो, इंसान रो पड़े।। ऐसी फिजा बनाओ मेरे देस वासियों,,,,,,,, की हिंदू का घर जले तो मुसलमान रो पड़े।।।। ©Peeyush"

 सूखे हुए गुल पे बैठकर गुलिस्तान रो पड़े।
जब कोई इंसान मारा गया तो, इंसान रो पड़े।।
ऐसी फिजा बनाओ मेरे देस वासियों,,,,,,,,
की हिंदू का घर जले तो मुसलमान रो पड़े।।।।

©Peeyush

सूखे हुए गुल पे बैठकर गुलिस्तान रो पड़े। जब कोई इंसान मारा गया तो, इंसान रो पड़े।। ऐसी फिजा बनाओ मेरे देस वासियों,,,,,,,, की हिंदू का घर जले तो मुसलमान रो पड़े।।।। ©Peeyush

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