हरबार उसे चाहता हु कलसे ज़्यादा और वो दूर हो जाती ह | हिंदी Shayari

"हरबार उसे चाहता हु कलसे ज़्यादा और वो दूर हो जाती है कलसे ज़्यादा में इश्कमे डूबा हु इसतरह उसे क्या पता इसबार भी दिल टूटा कलसे ज़्यादा में रोज़ उठता हु उसका इंतेज़ार करते और वो गहेरी नींद में है कलसे ज़्यादा आँखे भी बोली मुजसे अब बसकर, में अब नही रो पाउंगी कलसे ज़्यादा और में तो ठहरा फ़क़ीर आवारा अब क्या हसर हर्षका कलसे ज्यादा ©Harsh Patel"

 हरबार उसे चाहता हु कलसे ज़्यादा
और वो दूर हो जाती है कलसे ज़्यादा
में इश्कमे डूबा हु इसतरह उसे क्या पता
इसबार भी दिल टूटा कलसे ज़्यादा
में रोज़ उठता हु उसका इंतेज़ार करते
और वो गहेरी नींद में है कलसे ज़्यादा
आँखे भी बोली मुजसे अब बसकर,
में अब नही रो पाउंगी कलसे ज़्यादा
और में तो ठहरा फ़क़ीर आवारा
अब क्या हसर हर्षका कलसे ज्यादा

©Harsh Patel

हरबार उसे चाहता हु कलसे ज़्यादा और वो दूर हो जाती है कलसे ज़्यादा में इश्कमे डूबा हु इसतरह उसे क्या पता इसबार भी दिल टूटा कलसे ज़्यादा में रोज़ उठता हु उसका इंतेज़ार करते और वो गहेरी नींद में है कलसे ज़्यादा आँखे भी बोली मुजसे अब बसकर, में अब नही रो पाउंगी कलसे ज़्यादा और में तो ठहरा फ़क़ीर आवारा अब क्या हसर हर्षका कलसे ज्यादा ©Harsh Patel

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