जब कुछ कह नही पाती, तो कविता लिखती हूँ अपने मन की | हिंदी कविता

"जब कुछ कह नही पाती, तो कविता लिखती हूँ अपने मन की कह नही पाती, तो कविता लिती हूँ अपने दिल को जब समझाती हूँ, तो कविता लिखती हूँ दुनिया की भीड़ में खुद को तन्हा पाती हूँ, तो कविता लिखती हूँ यादों की खुशबु में जब महकती हूँ, तो कविता लिखती हूँ ©anjali anu"

 जब कुछ कह नही पाती, तो कविता लिखती हूँ
अपने मन की कह नही पाती, तो कविता लिती हूँ
अपने दिल को  जब समझाती हूँ, तो कविता लिखती हूँ
दुनिया की भीड़ में खुद को तन्हा पाती हूँ, तो कविता लिखती हूँ
 यादों की खुशबु में जब महकती हूँ, तो कविता लिखती हूँ

©anjali anu

जब कुछ कह नही पाती, तो कविता लिखती हूँ अपने मन की कह नही पाती, तो कविता लिती हूँ अपने दिल को जब समझाती हूँ, तो कविता लिखती हूँ दुनिया की भीड़ में खुद को तन्हा पाती हूँ, तो कविता लिखती हूँ यादों की खुशबु में जब महकती हूँ, तो कविता लिखती हूँ ©anjali anu

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