सीधा सा था मैं , तोडा मरोडा क्यों
सीधा ही रहने देते,
किन्तु, दुषित थे _ स्वयं तुम,
. . . और मुझे दुषित करने पर _ तुले थे तुम,
क्या अच्छा होता, तुम भी महकते _ चमन की तरह, हम भी बरसते _ बादल की तरह,
ले बैठेंगी सबको सबकी _ महत्वाकांक्षएं एक दिन,
वैसे खानदान से लेकर राजदरबार तलक
चलेंगें मुसलसल तेरे और मेरे बिन!
[अरुण प्रधान]
©Arun pradhan
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