चले आओ मोहन मैं, दिल से पुकारूं मेरा दिल है बेचैन, | हिंदी Poetry

"चले आओ मोहन मैं, दिल से पुकारूं मेरा दिल है बेचैन, कब तक संभालूं जहां नृत्य कर नाग, फन पर दिखाया जहां मार असुरों को, तुमने भगाया जहां बाल लीला को, तुमने दिखाया जहां एक उंगली पे, पर्वत उठाया जहां बांसुरी की, मधुर धुन सुनाया जहां रास कान्हा था, तुमने रचाया वहीं बैठकर के मैं, रस्ता निहारूं चले आओ मोहन, मैं दिल से पुकारूं ©PREM VERMA"

 चले आओ मोहन मैं, दिल से पुकारूं
मेरा दिल है बेचैन, कब तक संभालूं

जहां नृत्य कर नाग, फन पर दिखाया
जहां  मार असुरों  को, तुमने भगाया
जहां बाल लीला को, तुमने दिखाया
जहां  एक  उंगली  पे, पर्वत उठाया
जहां बांसुरी की, मधुर धुन सुनाया
जहां  रास कान्हा था, तुमने  रचाया

वहीं  बैठकर  के  मैं,  रस्ता  निहारूं 
चले आओ मोहन, मैं दिल से पुकारूं

©PREM VERMA

चले आओ मोहन मैं, दिल से पुकारूं मेरा दिल है बेचैन, कब तक संभालूं जहां नृत्य कर नाग, फन पर दिखाया जहां मार असुरों को, तुमने भगाया जहां बाल लीला को, तुमने दिखाया जहां एक उंगली पे, पर्वत उठाया जहां बांसुरी की, मधुर धुन सुनाया जहां रास कान्हा था, तुमने रचाया वहीं बैठकर के मैं, रस्ता निहारूं चले आओ मोहन, मैं दिल से पुकारूं ©PREM VERMA

#CityWinter

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