सोचता हूँ कि एक सुबह किसी किनारे पे बैठ कर लिख डाल

"सोचता हूँ कि एक सुबह किसी किनारे पे बैठ कर लिख डालूं तुम्हारे सारे फरेब और झूठ... मगर कभी ये भी सोचता हूँ तुम्हारे चेहरे से ये अलग हैं कोई यकीन मुझ पर क्यूँ करेगा... #NojotoQuote"

 सोचता हूँ कि एक सुबह किसी किनारे पे बैठ कर लिख डालूं
 तुम्हारे सारे फरेब और झूठ...

मगर कभी ये भी सोचता हूँ तुम्हारे चेहरे से ये अलग हैं
 कोई यकीन मुझ पर क्यूँ करेगा...  #NojotoQuote

सोचता हूँ कि एक सुबह किसी किनारे पे बैठ कर लिख डालूं तुम्हारे सारे फरेब और झूठ... मगर कभी ये भी सोचता हूँ तुम्हारे चेहरे से ये अलग हैं कोई यकीन मुझ पर क्यूँ करेगा...

#nojotoshayari #nojotohindi #Kamrankamil

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