White अपने हर दर्द को अशआर में ढाला मैंने ऐसे रोत | हिंदी शायरी

"White अपने हर दर्द को अशआर में ढाला मैंने ऐसे रोते हुए लोगों को संभाला मैंने शाम कुछ देर ही बस सुर्ख़ रही, हालांकि खून अपना तो बहुत देर उबाला मैंने बच्चे कहते हैं कि एहसान नहीं फ़र्ज़ था वो अपनी ममता का दिया जब भी हवाला मैंने कभी सरकार पे, किस्मत पे, कभी दुनिया पर दोष हर बात का औरों पे ही डाला मैंने लोग रोटी के दिलासों पे यहाँ बिकते हैं जब कि ठुकरा दिया सोने का निवाला मैंने आप को शब् के अँधेरे से मुहब्बत है, रहे चुन लिया सुबह के सूरज का उजाला मैंने आज के दौर में सच बोल रही हूँ 'श्रद्धा' अक्ल पर अपनी लगा रक्खा है ताला मैंने ©Deepubodhi"

 White अपने हर दर्द को अशआर में ढाला मैंने
ऐसे रोते हुए लोगों को संभाला मैंने

शाम कुछ देर ही बस सुर्ख़ रही, हालांकि
खून अपना तो बहुत देर उबाला मैंने

बच्चे कहते हैं कि एहसान नहीं फ़र्ज़ था वो
अपनी ममता का दिया जब भी हवाला मैंने

कभी सरकार पे, किस्मत पे, कभी दुनिया पर
दोष हर बात का औरों पे ही डाला मैंने

लोग रोटी के दिलासों पे यहाँ बिकते हैं
जब कि ठुकरा दिया सोने का निवाला मैंने

आप को शब् के अँधेरे से मुहब्बत है, रहे
चुन लिया सुबह के सूरज का उजाला मैंने

आज के दौर में सच बोल रही हूँ 'श्रद्धा'
अक्ल पर अपनी लगा रक्खा है ताला मैंने

©Deepubodhi

White अपने हर दर्द को अशआर में ढाला मैंने ऐसे रोते हुए लोगों को संभाला मैंने शाम कुछ देर ही बस सुर्ख़ रही, हालांकि खून अपना तो बहुत देर उबाला मैंने बच्चे कहते हैं कि एहसान नहीं फ़र्ज़ था वो अपनी ममता का दिया जब भी हवाला मैंने कभी सरकार पे, किस्मत पे, कभी दुनिया पर दोष हर बात का औरों पे ही डाला मैंने लोग रोटी के दिलासों पे यहाँ बिकते हैं जब कि ठुकरा दिया सोने का निवाला मैंने आप को शब् के अँधेरे से मुहब्बत है, रहे चुन लिया सुबह के सूरज का उजाला मैंने आज के दौर में सच बोल रही हूँ 'श्रद्धा' अक्ल पर अपनी लगा रक्खा है ताला मैंने ©Deepubodhi

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