ज़िन्दगी मिलती है फिर बाहें फैला के, शर्त बस इतनी ह

"ज़िन्दगी मिलती है फिर बाहें फैला के, शर्त बस इतनी है कि सब्र की उंगली न छूटने पाये।।"

 ज़िन्दगी मिलती है फिर बाहें फैला के,
शर्त बस इतनी है कि सब्र की उंगली न छूटने पाये।।

ज़िन्दगी मिलती है फिर बाहें फैला के, शर्त बस इतनी है कि सब्र की उंगली न छूटने पाये।।

# ज़िन्दगी और सब्र

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