कई महीने से कुछ ख़बर ही नहीं, कहाँ दिन गुज़ारा कहा | हिंदी शायरी

"कई महीने से कुछ ख़बर ही नहीं, कहाँ दिन गुज़ारा कहाँ रात की। ©shahrana_andaj"

 कई महीने से कुछ ख़बर ही नहीं,
कहाँ दिन गुज़ारा कहाँ रात की।

©shahrana_andaj

कई महीने से कुछ ख़बर ही नहीं, कहाँ दिन गुज़ारा कहाँ रात की। ©shahrana_andaj

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