Blue Moon अगर नियति से परे भी कोई और जहां होता
तो इंसा हर रंजो - गम से कितना आज़ाद होता
मिलने - बिछड़ने का तब कोई दर्द तो ना होता
काश ! की ये सारी बातें सच में सच हो पाता
सीमित होती इच्छाएं और सीमित सपना होता
जो की उंगलियों पर भी इसे गिना जा सकता
रात जगनुओं की रौशनी से उजाला लिए होता
तो सुबह ओस थोड़ी और देर तक पत्तों पर ठहरता
स्वच्छ आकाश अपने चांद ,तारों से जगमगाता
और नदी उसकी परछाई में ख़ूब आलोकित होती
सब लोग ताल में होते कोई बे- ताल ना होता
खिलखिलाहट से हर हृदय मानो प्रफुल्लित होता
गीत और नगमें सब अपनी जगह पर गुनगुनाते
घुंघुरू की छम छम से ये जग संगीतमय होता
काश ! की सच में कोई ऐसा जहां सच में होता
और ये सारी बातें सच में कभी तो सच हो पाता
©Sadhna Sarkar
#ankahe_jazbat