मैं तेरी मोहब्बत में,
इक पल खुदसे चुराना है
सुनो एक रोज पकड़कर कलाई तुम्हें गिराना है
और तुम्हें उठाते वक्त, खुद तुम्हारी बाहो में गिर जाना हैं
देखके जमाने को तुम जो ठहर जाते हो
उस ठहराव से नजरे मुझपर गढाते हो
तुम्हारी टकटकी को side में रखकर
इन होठो से पलको को दिवाना बनाना है
सुनो इस दिसम्बर की भीगी सी रात में
वो हाई वे वाली खाट पे
इक कड़क चाय का घूँट तुम्हारे कुल्हड़ से चुराना है
और तुम जो हा हूँ से बतयाते हो
इस बात से खिजके तुम्हारे गलो को खींच के भाग जाना हैं
सुनो क्रिसमस पर पकड़ कर हथेली किसी राह पे मुड़ जाना हैं
ये मौसम गुजरा हैं जो अभी अभी छू के
भिगती बरसात ठिठुरती रात में
होकर तेरा जाने और कितने ख्यालो से ख्वाब चुराना हैं