के गर वो चाहते तो साथ इतना मुश्किल न था , शायद उनक | हिंदी शायरी

"के गर वो चाहते तो साथ इतना मुश्किल न था , शायद उनका दिल न था । हम क्या उनसे मुलाकात करते , उन्हें हमको एक नजर देखना तक पसंद न था । जो कभी हम गुजरते उनकी गली से देख हमे दजावाजे– खिड़की बंद कर लेते , शायद उन्हें हमारा उनकी गली से गुजरना भी पसंद न था । मोहब्बत की दौड़ में तुम हारे भी उस शख्स से हो “रोनक" जो कल तलक इस दौड़ में सामिल न था । ©Ronak_S_RAJPUT"

 के गर वो चाहते तो साथ इतना मुश्किल न था ,
शायद उनका दिल न था ।
हम क्या उनसे मुलाकात करते ,
उन्हें हमको एक नजर देखना तक पसंद न था ।
जो कभी हम गुजरते उनकी गली से 
देख हमे दजावाजे– खिड़की बंद कर लेते ,
शायद उन्हें हमारा उनकी गली से गुजरना भी पसंद न था ।
मोहब्बत की दौड़ में तुम हारे भी उस शख्स से हो “रोनक"
जो कल तलक इस दौड़ में सामिल न था ।

©Ronak_S_RAJPUT

के गर वो चाहते तो साथ इतना मुश्किल न था , शायद उनका दिल न था । हम क्या उनसे मुलाकात करते , उन्हें हमको एक नजर देखना तक पसंद न था । जो कभी हम गुजरते उनकी गली से देख हमे दजावाजे– खिड़की बंद कर लेते , शायद उन्हें हमारा उनकी गली से गुजरना भी पसंद न था । मोहब्बत की दौड़ में तुम हारे भी उस शख्स से हो “रोनक" जो कल तलक इस दौड़ में सामिल न था । ©Ronak_S_RAJPUT

#Love #Broken

#Rose

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