मेरी ज़िंदगी के सबसे प्रिये उस्ताद हो तुम।
जाते-जाते भी तुमने मुझको,
ये सिखाया कि-
किसी से उम्मीद मत करना
वफ़ा की,साथ निभाने की
औऱ उन सपनों के भी
सच होने की-
जो साथ बुनें गए थे,
कहा -
था कि सब के अपने-अपने सपनें होते हैं
बहुत पास के भी तो कोई अपने होते हैं
न थी तुम syllabus मेरी ,फिर मुझको याद हो तुम
मेरी ज़िंदगी के सबसे प्रिये उस्ताद हो "तुम"।
©sufiyan aftab
#teachersday2020