जिन्हें न फिकर थी कभी आँसुओ की
गमे दर्द उनको सुनाने चले थे।
सुकूँ का ज़खीरा जहाँ हर तरफ़ हो
उसी रास्ते को भुलाने चले थे।
फ़ना जिसके दर पे हुईं ये मोहब्बत
उन्हीं को कहानी सुनाने चले थे।
जले थे हमेशा नज़र की आग से
रस्मों को उन संग निभाने चले थे।
©Sneh Lata Pandey 'sneh'
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