#5LinePoetry संभलकर संभलकर चले थे बालम, फिर भी फिस | हिंदी Shayari

"#5LinePoetry संभलकर संभलकर चले थे बालम, फिर भी फिसल गए, चलो जहा फिसले है तुम्हे वो ढलान बताते है, एक आंसू गिरा होठों पर उनके, वहा तिल का निशान बताते है, लोग बेसब्री से पूछ ही लेते है आंखे उसकी, हम मुस्कुराकर तब उन्हे सिर्फ और सिर्फ आसमान बताते है। ©Satyam Purohit"

 #5LinePoetry संभलकर संभलकर चले थे बालम, फिर भी फिसल गए,
चलो जहा फिसले है तुम्हे वो ढलान बताते है,
एक आंसू गिरा होठों पर उनके, वहा तिल का निशान बताते है,
लोग बेसब्री से पूछ ही लेते है आंखे उसकी,
हम मुस्कुराकर तब उन्हे सिर्फ और सिर्फ आसमान बताते है।

©Satyam Purohit

#5LinePoetry संभलकर संभलकर चले थे बालम, फिर भी फिसल गए, चलो जहा फिसले है तुम्हे वो ढलान बताते है, एक आंसू गिरा होठों पर उनके, वहा तिल का निशान बताते है, लोग बेसब्री से पूछ ही लेते है आंखे उसकी, हम मुस्कुराकर तब उन्हे सिर्फ और सिर्फ आसमान बताते है। ©Satyam Purohit

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