रिवायत चलती तोह कर भी क्या सकते थे,
महरुम खुदाकी वोह कर भी क्या सकते थे।
मनसुबा जो भी बनाया उसका हमे मंजूर है,
पेशानी रखके निगाह कर भी क्या सकते थे।
हर कसौटी कुरबतसे निभाने को तैयार है हम,
रुसवा होके अब परवाह करभी क्या सकते थे।
पहले सोचतेथे के कोई रहेबर रहेता है जहामे,
मुनाफिक थे हर जगह कर भी क्या सकते थे।
फनकार होके जहामे तसव्वुर करना है किरण,
मूकद्दरकी करके राह कर भी क्या सकते थे।
रवानगी जारी खूबसूरत मुस्तकबिल बनाने को,
आतिशबाजीके गिरोह कर भी क्या सकते थे।
©Kiran Powar
कर भी क्या सकते थे
#Hopeless