हर जगह, हर तरफ, हर पहर है अन्धेरा बेकरार , कर उजाग | हिंदी Shayari

"हर जगह, हर तरफ, हर पहर है अन्धेरा बेकरार , कर उजागर रोशनी होना नही गिरफतार। मानता हूँ हो सकता है मुसकिल मगर नामुमकिन तो नही। चलता है तू पथ पे अपने कदम , और कोई तो चलता तो नही। फिर देख सामने खङा अन्धेरा है लेने को तुझको गिरफ्त मे बेकरार , कर उजागर रोशनी होना नही गिरफ्तार । ©vikku ji"

 हर जगह, हर तरफ, हर पहर
है अन्धेरा बेकरार ,
कर उजागर रोशनी होना नही गिरफतार।

मानता हूँ हो सकता है मुसकिल मगर 
नामुमकिन तो नही।

चलता है तू पथ पे अपने कदम ,
और  कोई तो चलता तो नही।

फिर देख सामने खङा अन्धेरा
है लेने को तुझको गिरफ्त मे बेकरार ,
कर उजागर रोशनी होना नही गिरफ्तार ।

©vikku ji

हर जगह, हर तरफ, हर पहर है अन्धेरा बेकरार , कर उजागर रोशनी होना नही गिरफतार। मानता हूँ हो सकता है मुसकिल मगर नामुमकिन तो नही। चलता है तू पथ पे अपने कदम , और कोई तो चलता तो नही। फिर देख सामने खङा अन्धेरा है लेने को तुझको गिरफ्त मे बेकरार , कर उजागर रोशनी होना नही गिरफ्तार । ©vikku ji

#lonely

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