समंदर के किनारे से
कभी उस पार देखो
नज़र आती है बस
नीली सी एक लकीर
यूं लगता है
समंदर आसमां से मिल रहा है..
या साहिर अमृता से...
मगर ये ख्वाब है बस
वो सपनों की बस एक नीली लकीर है
हकीक़त है तो बस इतनी
वो चाहें भी तो मिल सकते नहीं हैं..
समंदर आसमां से
और
ना साहिर अमृता से.. !!
© ambrish