कौन है वो कोई मुझे भी बताओ ज़रा नींद से जग गया मैं | हिंदी कविता

"कौन है वो कोई मुझे भी बताओ ज़रा नींद से जग गया मैं मुझे ख्वाब से उठाओ ज़रा झरने कि बौछार किसे नहीं पसंद आती ये अनोखा कौन है इनसे मुझे भी मिलाओ ज़रा आखिर अरसा बिता दिए तुम लौट कर आते - आते अब ज़माने से भी गुफ्तगू मेरी कराओ ज़रा हवाओ का तो काम है छू के चली जायगी जो साताऐ तुम्हें ये तो मुझे भी बताओ ज़रा कौन जाहिल इश्क़ से निकलना चाहता है मिले तुम्हें कोई तो मुझे भी मिलाओ ज़रा ऐसे ही तिल तिल के बर्बाद होने की शौक़ीन है दुनिया जो तबाही से बचा हो कोई तो मुझे भी बचाओ ज़रा आखिर कौन है वो मुझे भी बताओ ज़रा बेदर्द होते चलें गए हम रुसवाई मे केवल गुस्सा तुम भी आकर हम पे दिखाओ ज़रा मुस्कुरा के जवाब दे देंगे तुम्हें भी जरा मेरी ही तरह तुम भी पेश आओ ज़रा अब इच्छाएं खत्म होती जा रही धीरे धीरे मेरी किसी शौक़ीन शक्श से मुझे भी मिलाओ ज़रा हम भी देखें उनके संवरने का तरीका उसकी पायल कि झनक मेरे कान तक लाओ ज़रा कौन है वो कोई मुझे भी बताओ ज़रा ©Upasana Gautam"

 कौन है वो कोई मुझे भी बताओ ज़रा
नींद से जग गया मैं 
मुझे ख्वाब से उठाओ ज़रा

झरने कि बौछार किसे नहीं पसंद आती
ये अनोखा कौन है इनसे मुझे भी मिलाओ ज़रा

आखिर अरसा बिता दिए तुम लौट कर आते - आते
अब ज़माने से भी गुफ्तगू मेरी कराओ ज़रा
हवाओ का तो काम है छू के चली जायगी
जो साताऐ तुम्हें ये तो मुझे भी बताओ ज़रा

कौन जाहिल इश्क़ से निकलना चाहता है
मिले तुम्हें कोई तो मुझे भी मिलाओ ज़रा
ऐसे ही तिल तिल के बर्बाद होने की शौक़ीन है दुनिया
जो तबाही से बचा हो कोई तो मुझे भी बचाओ ज़रा
आखिर कौन है वो मुझे भी बताओ ज़रा

बेदर्द होते चलें गए हम रुसवाई मे केवल
गुस्सा तुम भी आकर हम पे दिखाओ ज़रा
मुस्कुरा के जवाब दे देंगे तुम्हें भी 
जरा मेरी ही तरह तुम भी पेश आओ ज़रा

अब इच्छाएं खत्म होती जा रही धीरे धीरे मेरी
किसी शौक़ीन शक्श से मुझे भी मिलाओ ज़रा
हम भी देखें उनके संवरने का तरीका
उसकी पायल कि झनक मेरे कान तक लाओ ज़रा

कौन है वो कोई मुझे भी बताओ ज़रा

©Upasana Gautam

कौन है वो कोई मुझे भी बताओ ज़रा नींद से जग गया मैं मुझे ख्वाब से उठाओ ज़रा झरने कि बौछार किसे नहीं पसंद आती ये अनोखा कौन है इनसे मुझे भी मिलाओ ज़रा आखिर अरसा बिता दिए तुम लौट कर आते - आते अब ज़माने से भी गुफ्तगू मेरी कराओ ज़रा हवाओ का तो काम है छू के चली जायगी जो साताऐ तुम्हें ये तो मुझे भी बताओ ज़रा कौन जाहिल इश्क़ से निकलना चाहता है मिले तुम्हें कोई तो मुझे भी मिलाओ ज़रा ऐसे ही तिल तिल के बर्बाद होने की शौक़ीन है दुनिया जो तबाही से बचा हो कोई तो मुझे भी बचाओ ज़रा आखिर कौन है वो मुझे भी बताओ ज़रा बेदर्द होते चलें गए हम रुसवाई मे केवल गुस्सा तुम भी आकर हम पे दिखाओ ज़रा मुस्कुरा के जवाब दे देंगे तुम्हें भी जरा मेरी ही तरह तुम भी पेश आओ ज़रा अब इच्छाएं खत्म होती जा रही धीरे धीरे मेरी किसी शौक़ीन शक्श से मुझे भी मिलाओ ज़रा हम भी देखें उनके संवरने का तरीका उसकी पायल कि झनक मेरे कान तक लाओ ज़रा कौन है वो कोई मुझे भी बताओ ज़रा ©Upasana Gautam

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