हम हैं हवा है जबतक कहती है जिंदगी
कुदरत के संग संग जो रहती है जिंदगी
बादल बुझाते प्यास भूख मिटती जमीं से
सुख दुख के धूप छाँव को सहती है जिंदगी
रिश्ते बनाए इसने है सितारों से चाँद से
बन करके समंदर सा बहती है जिंदगी
जब जब हुए खफा ये आई है मुश्किलें
जैसे किला हो रेत का ढहती है जिंदगी
सबके लिये अजीज है बेखुद जहान में
हमने लगाए बाग तो महकी है जिंदगी
©Sunil Kumar Maurya Bekhud
#जिंदगी