फिर मिलेंगे ये कह कर वो आज तक नहीं मिले मजबूरी होत | हिंदी शायरी

"फिर मिलेंगे ये कह कर वो आज तक नहीं मिले मजबूरी होती है मगर इतनी मज़बूरी भी कहाँ होती है। © श।यर देव Thakur"

 फिर मिलेंगे ये कह कर वो आज तक नहीं मिले
मजबूरी होती है मगर इतनी मज़बूरी भी कहाँ होती है।

©        श।यर देव Thakur

फिर मिलेंगे ये कह कर वो आज तक नहीं मिले मजबूरी होती है मगर इतनी मज़बूरी भी कहाँ होती है। © श।यर देव Thakur

मज़बूरी

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