फिर सवाल था....
कितना जानते हो .????
और हमारा ज़बाब था ......उतना ही जितना जानना चाहिए .....
सिर्फ उतना ही जितने से इस बात की सहज रूप से पहचान हो से कि इंसान का स्तर क्या है ...,,इंसानी तौर पर कितना अच्छा,,,सरल और ,, शानदार है ..
चेहरे बनावटी हो सकते हैं,,,चरित्र नही,,
उस दौर में जब लोगो को चमकते चेहरे ...
चमकती कारें....महंगे रेस्त्रां पसंद है ...उसी दौर में..
जिसको सड़क की टपरी पर चाय पसंद हो ,,और वो सब सहजता से स्वीकार हो ..जो स्वाभाविक रूप से संभव था ..उपलब्ध हो सकता था ...
जब लोग चेहरे से पहचानने के आदी हो चुके हो ऐसे में ...चेहरे पर गौर ना करना और इसके इतर बहुत कुछ गौर करना ...
तुम्हारे व्यक्तित्व की शानदार अभिव्यक्ति है .....तुम्हारी श्रेष्ठता का प्रमाण है ।
तुम्हारा सहज और सरल होना ...अनायास अपनी ओर आकर्षित करता है मानो कोई सम्मोहन अस्त्र हो
और ...मीठी अवधी मानो दिल जीतने को ब्रह्मास्त्र का संधान कर रही हो ....
तुममें महान बनने के सभी सद्गुण है ...जो तुम्हे शीर्ष तक ले जायेंगे ...
जानने के लिए इससे अधिक जानने की आवश्यकता कहां है ....
जानने के लिए दो दिन,,,दो घड़ी ,,,दो पल काफी है. ...
और ना जानने ना समझ पाने के लिए पूरी उम्र कम पड़ जाती है .......
समझने के लिए ....सामान्य विवेक ........सामान्य समझ
और जानने के लिए सामान्य आचरण की अभिव्यक्ति स्वयं में पर्याप्त ,,प्रमाण है ....
कुछ लोग काफी कुछ सीखते है ,,समझते हैं ,,,,चंद लम्हों के दौरान
और कुछ लोग सिर्फ इतना ही ....."जब आप कहेंगे"....,,, .
©Sachin R. Pandey
#Night