कुछ तो मुझको हो गया है
उनसे पहली मुलाक़ात में
न जाने क्यों थिरकने लगे हैं
ख़ुद ब ख़ुद ये तन मन मेरे
सुहानी शाम हो या
हो ये महकती सुबह
हर पल एक आहट सी आती है
ख़ुशबू उनकी दे जाती है
दूर बहुत दूर हैं वो फिर भी क्यों
लगता है आसपास ही है वो मेरे
©Prabhat Kumar
#प्रभात