आज का ज्ञान देवो रूष्ठे गुरूस्त्राता गुरो रूष्ठे न कश्चन: ।
गुरूस्त्राता गुरूस्त्राता गुरूस्त्राता न संशय:।।
अर्थ - भाग्य रूठ जाए तो गुरु रक्षा करता है।
गुरु रूठ जाए तो कोई नहीं होता है।
गुरु ही रक्षक है,गुरु ही रक्षक है,
गुरु ही रक्षक है।
इसमें कोई संदेह नहीं है
देवो रूष्ठे गुरूस्त्राता गुरो रूष्ठे न कश्चन: ।
गुरूस्त्राता गुरूस्त्राता गुरूस्त्राता न संशय:।।
अर्थ - भाग्य रूठ जाए तो गुरु रक्षा करता है।
गुरु रूठ जाए तो कोई नहीं होता है।
गुरु ही रक्षक है,गुरु ही रक्षक है,
गुरु ही रक्षक है।
इसमें कोई संदेह नहीं है