तुम जितना चाहे उतना खेल सकते हो हमसे , मैं किसी बच | हिंदी शायरी

"तुम जितना चाहे उतना खेल सकते हो हमसे , मैं किसी बच्चे का खिलोना नहीं की टूट जाऊ तुमसे !! पर हाँ एक बात हमेसा रखना याद , कि टूट गया तो फिर गलती से भी ना करना याद !! गर जबरन आ ही जाये मेरी याद कभी, तो मिलने आ जाना मेरे मर जाने के बाद कभी !! गौरव सक्सेना"

 तुम जितना चाहे उतना खेल सकते हो हमसे ,
मैं किसी बच्चे का खिलोना नहीं की टूट जाऊ तुमसे !!

पर हाँ एक बात हमेसा रखना याद ,
कि टूट गया तो फिर गलती से भी ना करना याद !!

गर जबरन आ ही जाये मेरी याद कभी,
तो मिलने आ जाना मेरे मर जाने के बाद कभी !!        
गौरव सक्सेना

तुम जितना चाहे उतना खेल सकते हो हमसे , मैं किसी बच्चे का खिलोना नहीं की टूट जाऊ तुमसे !! पर हाँ एक बात हमेसा रखना याद , कि टूट गया तो फिर गलती से भी ना करना याद !! गर जबरन आ ही जाये मेरी याद कभी, तो मिलने आ जाना मेरे मर जाने के बाद कभी !! गौरव सक्सेना

तुम जितना चाहे उतना खेल सकते हो हमसे ,
मैं किसी बच्चे का खिलोना नहीं की टूट जाऊ तुमसे !!

पर हाँ एक बात हमेसा रखना याद ,
कि टूट गया तो फिर गलती से भी ना करना याद !!

गर जबरन आ ही जाये मेरी याद कभी,
तो मिलने आ जाना मेरे मर जाने के बाद कभी !!

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