अपनों के संग जो छल किया,
वो अपने ही अंत का बीज बोया।
विश्वास की डोर को तोड़ा जब,
दिलों में दर्द का सागर रोया।
सपनों की बुनियाद हिल गई,
रिश्तों की नींव दरक गई।
जो अपने थे, वो पराए हो गए,
स्नेह की राहें वीरान हो गईं।
धोखे की राह पर चलने वाले,
कभी न पाएंगे सुकून के पल।
अपनों का दिल दुखाने वाले,
खुद ही बनेंगे अपने अंत का हल।
सच्चाई की राह पर चलो,
प्यार और विश्वास को संभालो।
अपनों के संग सच्चे रहो,
जीवन को खुशियों से भर डालो।
©Rounak kumar
#Sukha