इश्क़ अग़र मोहब्बत मर्ज़ है तो इसकी दवा दीजिए,
नमाज-ए-इश़्क को महफ़िल में अदा कीजिए !
दिल में छुपी हुई बात को इन होठों पर लाकर,
अपने दीदार- ए -महबूब का मजा लीजिए !
दिल्लगी की इस मसरूफ़ियत से वक्त निकालकर,
दो चार ज़ाम कभी हमारे साथ भी पीजिए !
इश्क़ ग़र हो सच्चा तो वो मुकम्मल हो जाए,
आप भी सजदे में रब से ये दुआ कीजिए !
✍अनुराग विश्वकर्मा
@Kajal Kapoor @Badrinath Kumar @Shweta Kumari @Pooja @Bharti Kumari