पूर्ण हो पाए न जो वो कल्पनाएंँ व्यर्थ हैं। यदि

" पूर्ण हो पाए न जो वो कल्पनाएंँ व्यर्थ हैं। यदि हृदय पाषाण है तो याचनाएंँ व्यर्थ हैं। मांँ पिता को भूलकर जो घूमते हैं धाम चारो, बोल दे कोई उन्हें ये यात्राएंँ व्यर्थ हैं। "

 
पूर्ण हो पाए न जो  वो कल्पनाएंँ  व्यर्थ हैं।
यदि हृदय पाषाण है तो याचनाएंँ व्यर्थ हैं।
मांँ पिता को भूलकर जो घूमते हैं धाम चारो,
बोल दे  कोई  उन्हें  ये  यात्राएंँ  व्यर्थ  हैं।

पूर्ण हो पाए न जो वो कल्पनाएंँ व्यर्थ हैं। यदि हृदय पाषाण है तो याचनाएंँ व्यर्थ हैं। मांँ पिता को भूलकर जो घूमते हैं धाम चारो, बोल दे कोई उन्हें ये यात्राएंँ व्यर्थ हैं।

#मुक्तक_मन #मौर्यवंशी_मनीष_मन

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