उदासियों में बैठी रहूँ गर पलकें समेटकर एहसासों में | हिंदी कविता

"उदासियों में बैठी रहूँ गर पलकें समेटकर एहसासों में खो जाती हूँ नम हो जाती हैं ये आंखें पर यादों में डूब कर मैं तेरी हो जाती हूँ बेपरवाह हो कर मुस्कुराती एक अल्हड़ सी नादान लड़की बन जाती हूँ हाँ मैं कभी कभी एक तुझी में खो जाती हूँ तेरी तस्वीर से बातें करने की चाहत में छत की मुंडेर के संग हँसती मुस्कुराती हूँ बाँवरी कहे कोई या कोई पागल कहें मगर कुछ पल के लिए ही सही एक तुझी में खो कर तुझी समां जाती हूँ ©Neha Yadav"

 उदासियों में बैठी रहूँ गर
पलकें समेटकर एहसासों में खो जाती हूँ
नम हो जाती हैं ये आंखें
पर यादों में डूब कर मैं तेरी हो जाती हूँ
बेपरवाह हो कर मुस्कुराती
एक अल्हड़ सी नादान लड़की बन जाती हूँ
हाँ मैं कभी कभी एक तुझी में खो जाती हूँ
तेरी तस्वीर से बातें करने की चाहत में
छत की मुंडेर के संग हँसती मुस्कुराती हूँ
बाँवरी कहे कोई या कोई पागल कहें
मगर कुछ पल के लिए ही सही 
एक तुझी में खो कर तुझी समां जाती हूँ

©Neha Yadav

उदासियों में बैठी रहूँ गर पलकें समेटकर एहसासों में खो जाती हूँ नम हो जाती हैं ये आंखें पर यादों में डूब कर मैं तेरी हो जाती हूँ बेपरवाह हो कर मुस्कुराती एक अल्हड़ सी नादान लड़की बन जाती हूँ हाँ मैं कभी कभी एक तुझी में खो जाती हूँ तेरी तस्वीर से बातें करने की चाहत में छत की मुंडेर के संग हँसती मुस्कुराती हूँ बाँवरी कहे कोई या कोई पागल कहें मगर कुछ पल के लिए ही सही एक तुझी में खो कर तुझी समां जाती हूँ ©Neha Yadav

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