उदासियों में बैठी रहूँ गर
पलकें समेटकर एहसासों में खो जाती हूँ
नम हो जाती हैं ये आंखें
पर यादों में डूब कर मैं तेरी हो जाती हूँ
बेपरवाह हो कर मुस्कुराती
एक अल्हड़ सी नादान लड़की बन जाती हूँ
हाँ मैं कभी कभी एक तुझी में खो जाती हूँ
तेरी तस्वीर से बातें करने की चाहत में
छत की मुंडेर के संग हँसती मुस्कुराती हूँ
बाँवरी कहे कोई या कोई पागल कहें
मगर कुछ पल के लिए ही सही
एक तुझी में खो कर तुझी समां जाती हूँ
©Neha Yadav
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