"तेरे लफ़्ज़ों में वो मदहोशियाँ
तेरे होठों की अनकही खामोशियाँ|
तेरे अश्कों में शबनम का हर कतरा
तेरे मुसलसल अल्फ़ाज़ों पे रूहानियत का पर्दा|
तेरे आजा़न में रुहानियत का शोर
मुझे खीचें तेरी ओर
मुझे खीचें तेरी ओर|
priyaraj pandey."
तेरे लफ़्ज़ों में वो मदहोशियाँ
तेरे होठों की अनकही खामोशियाँ|
तेरे अश्कों में शबनम का हर कतरा
तेरे मुसलसल अल्फ़ाज़ों पे रूहानियत का पर्दा|
तेरे आजा़न में रुहानियत का शोर
मुझे खीचें तेरी ओर
मुझे खीचें तेरी ओर|
priyaraj pandey.