ये मन उलझन में है प्रिये, जरा तुम मिलने आ जाओ भरो | हिंदी Love

"ये मन उलझन में है प्रिये, जरा तुम मिलने आ जाओ भरो बाहों में मुझको तुम, सजल नैनों से बतलाओ बहुत चिंतित है मन मेरा, सुना ये जब से मैंने है किसी की राह तकती हो, क्या ये सच है तुम बतलाओ ©कवि आशीष कुमार पाण्डेय"

 ये मन उलझन में है प्रिये, जरा तुम मिलने आ जाओ
भरो बाहों में मुझको तुम, सजल नैनों से बतलाओ
बहुत चिंतित है मन मेरा, सुना ये जब से मैंने है
किसी की राह तकती हो, क्या ये सच है तुम  बतलाओ

©कवि आशीष कुमार  पाण्डेय

ये मन उलझन में है प्रिये, जरा तुम मिलने आ जाओ भरो बाहों में मुझको तुम, सजल नैनों से बतलाओ बहुत चिंतित है मन मेरा, सुना ये जब से मैंने है किसी की राह तकती हो, क्या ये सच है तुम बतलाओ ©कवि आशीष कुमार पाण्डेय

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