अपना वह होता है
जिससे बातें दिल से की जा सके
दिमाग से नही,
क्या खता की है मैने2 की
हर कदम पर गलत कहा गया मुझे,
परवाह ही तो किया था सबकी,
फिर भी मुझे ऐसे सिला दिया गया,
बहुत ढूंढने की कोशिश की मैंने हर जगह खुशी,
कहीं भी ना मिली,
मिली तो वो तो मेरे ही अंदर मिली,
बस थोड़े आंसुओं ने मेरा साथ दे दिया,
मेरे अंदर के गम को भूला सा दिया,
फिर से वही खुशी ढूंढने मैं निकल पड़ी,
©shweta singh