My Language मानवता का गान है हिंदी जन गण मन की जा

"My Language मानवता का गान है हिंदी जन गण मन की जान है हिंदी भारत की पहचान है हिंदी मानवता का गान है हिंदी प्रेम सत्य और करुणा का गीत और यश गान है हिंदी शब्द ब्रह्म संसार है हिंदी जन गण मन का प्यार हिंदी भारत मां का दुलार है हिंदी बंधी नहीं यह सीमाओं में सीमित नहीं अपार है हिंदी जन गण मन की भाषा है जगजीवन की आशा है अंतर्मन का तार है हिंदी एक मधुर उपहार है हिंदी मानवता का सार है हिंदी जन गण मन का गीत है हिंदी सारे जग की मीत है हिंदी भाईचारा प्रीत है हिंदी प्रेम गीत की रीत है हिंदी रामचरित का गान है हिंदी मीरा का अमृत पान है हिंदी नील गगन की शान है हिंदी जन गण मन की प्राण है हिंदी गीत प्रेम के गाती है आशा के दीप जलाती है हिंदी अपने अबदानों से दुनिया को राह दिखाती है प्रेम शांति बलिदानों की, गौरव की गाथा गाती है त्याग तपस्या और करुणा के, पाठों से महकाती है मानवता को उच्च शिखर पर, आगे सदा बढ़ाती है हिंदी है जन मन की भाषा, अमन शांति फैलाती है हिंदी है मां की ममता, हिंदी नेह दादी नानी हिंदी है इस जग की समता, दुनिया ने इसको पहचानी अद्भुत अमर साहित्य की जननी, हिंदी है मीठी वाणी सबका मंगल गान करें, सबका रखती ध्यान सबका ही कल्याण करें, सबको देती ज्ञान हर बोली भाषा भाषी का, दिल से करती है सम्मान यह गीत प्रेम के गाती है, दसों दिशा मेंहकाती है अथाह कथा सागर से चुन चुन, किस्से रोज सुनाती है सदा हाथ में थाम तिरंगा, गीत अमन के गाती है विश्व की हर बोली भाषा का, हिंदी सम्मान जगाती है हिंदी ने भारतवासी को, एक सूत्र में जोड़ा ऐसा रंगा बसंती चोला, तंत्र गुलामी का तोड़ा पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण ,दसो दिशा मेंहकाई प्रजातंत्र का उदय हुआ, हमने आजादी पाई सुरेश कुमार चतुर्वेदी ©Suresh Kumar Chaturvedi"

 My Language मानवता का गान है हिंदी

जन गण मन की जान है हिंदी भारत की पहचान है हिंदी 
मानवता का गान है हिंदी 
प्रेम सत्य और करुणा का गीत और यश गान है हिंदी 
शब्द ब्रह्म संसार है हिंदी जन गण मन का प्यार हिंदी 
भारत मां का दुलार है हिंदी 
बंधी नहीं यह सीमाओं में सीमित नहीं अपार है हिंदी 
जन गण मन की भाषा है जगजीवन की आशा है 
अंतर्मन का तार है हिंदी एक मधुर उपहार है हिंदी 
मानवता का सार है हिंदी 
जन गण मन का गीत है हिंदी सारे जग की मीत है हिंदी 
भाईचारा प्रीत है हिंदी प्रेम गीत की रीत है हिंदी 
रामचरित का गान है हिंदी मीरा का अमृत पान है हिंदी 
नील गगन की शान है हिंदी जन गण मन की प्राण है हिंदी 
गीत प्रेम के गाती है आशा के दीप जलाती है 
हिंदी अपने अबदानों से दुनिया को राह दिखाती है 
प्रेम शांति बलिदानों की, गौरव की गाथा गाती है 
त्याग तपस्या और करुणा के, पाठों से महकाती है 
मानवता को उच्च शिखर पर, आगे सदा बढ़ाती है 
हिंदी है जन मन की भाषा, अमन शांति फैलाती है 
हिंदी है मां की ममता, हिंदी नेह दादी नानी 
हिंदी है इस जग की समता, दुनिया ने इसको पहचानी 
अद्भुत अमर साहित्य की जननी, हिंदी है मीठी वाणी 
सबका मंगल गान करें, सबका रखती ध्यान 
सबका ही कल्याण करें, सबको देती ज्ञान 
हर बोली भाषा भाषी का, दिल से करती है सम्मान 
यह गीत प्रेम के गाती है, दसों दिशा मेंहकाती है 
अथाह कथा सागर से चुन चुन, किस्से रोज सुनाती है 
सदा हाथ में थाम तिरंगा, गीत अमन के गाती है 
विश्व की हर बोली भाषा का, हिंदी सम्मान जगाती है 
हिंदी ने भारतवासी को, एक सूत्र में जोड़ा 
ऐसा रंगा बसंती चोला, तंत्र गुलामी का तोड़ा 
पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण ,दसो दिशा मेंहकाई 
प्रजातंत्र का उदय हुआ, हमने आजादी पाई 

सुरेश कुमार चतुर्वेदी

©Suresh Kumar Chaturvedi

My Language मानवता का गान है हिंदी जन गण मन की जान है हिंदी भारत की पहचान है हिंदी मानवता का गान है हिंदी प्रेम सत्य और करुणा का गीत और यश गान है हिंदी शब्द ब्रह्म संसार है हिंदी जन गण मन का प्यार हिंदी भारत मां का दुलार है हिंदी बंधी नहीं यह सीमाओं में सीमित नहीं अपार है हिंदी जन गण मन की भाषा है जगजीवन की आशा है अंतर्मन का तार है हिंदी एक मधुर उपहार है हिंदी मानवता का सार है हिंदी जन गण मन का गीत है हिंदी सारे जग की मीत है हिंदी भाईचारा प्रीत है हिंदी प्रेम गीत की रीत है हिंदी रामचरित का गान है हिंदी मीरा का अमृत पान है हिंदी नील गगन की शान है हिंदी जन गण मन की प्राण है हिंदी गीत प्रेम के गाती है आशा के दीप जलाती है हिंदी अपने अबदानों से दुनिया को राह दिखाती है प्रेम शांति बलिदानों की, गौरव की गाथा गाती है त्याग तपस्या और करुणा के, पाठों से महकाती है मानवता को उच्च शिखर पर, आगे सदा बढ़ाती है हिंदी है जन मन की भाषा, अमन शांति फैलाती है हिंदी है मां की ममता, हिंदी नेह दादी नानी हिंदी है इस जग की समता, दुनिया ने इसको पहचानी अद्भुत अमर साहित्य की जननी, हिंदी है मीठी वाणी सबका मंगल गान करें, सबका रखती ध्यान सबका ही कल्याण करें, सबको देती ज्ञान हर बोली भाषा भाषी का, दिल से करती है सम्मान यह गीत प्रेम के गाती है, दसों दिशा मेंहकाती है अथाह कथा सागर से चुन चुन, किस्से रोज सुनाती है सदा हाथ में थाम तिरंगा, गीत अमन के गाती है विश्व की हर बोली भाषा का, हिंदी सम्मान जगाती है हिंदी ने भारतवासी को, एक सूत्र में जोड़ा ऐसा रंगा बसंती चोला, तंत्र गुलामी का तोड़ा पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण ,दसो दिशा मेंहकाई प्रजातंत्र का उदय हुआ, हमने आजादी पाई सुरेश कुमार चतुर्वेदी ©Suresh Kumar Chaturvedi

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