White निगाह मे बसी उस तस्वीर को चूमता क्यूं है,गर
है हिम्मत तो निकाह से तू जी चुराता क्यूं है//१
है डर बदनामी का,तो बात दिल की इक-दूजे को बताता क्यूं है,
इश्क मे मेरी जाँ फिर दस्त बढ़ाता क्यूं है//२
जब हासिलें कुव्वत के भी हासिल न कर सके,तो
अब जीत के हारी हुई बाज़ी पर पछताता क्यूं है//३
वसवसों के खाली-पीली महल बनाता क्यूं हैं,
इस मानिंद तेरे ही इश्क़ को आजमाता क्यूं हैँ//४
इश्क़ और मुश्क़ मे मुब्तला होना बुरी लत तो नहीं है,
जो वाकिफ है तुझसे फिर उनसे छुपाता क्यूं है//५
अब राह-ए-इश्क़ में तेरे कदम लरजते क्यूं है,
रखता है चश्म तो फिर नजर को बचाता क्यूं है//६
ताउम्र लोगो के ऐब तलाशने वाले तू उगली उठाता क्यु है ,
जरा अपनी गरेबाँ को तो देख तु,इसे-मुझसे छुपाता क्यूं है//७
ऐ सौदागर ए इश्क़ हम तेरे कुछ नहीं,फिर इतना
बता तू देखके मुझको तिरे ज़हन मे लाता क्यूं है//८
इश्क़ मे एक दिल ही तो मख्सूस होता है,इस
मुखलिसी को तू हरेक शख्स मे ढूंढता फिरता क्यूं है//९
तेरी बेरुखी एवज बुझ गई"शमा" की सांसे तमाम,
के तू अब इस बुझी शम्अ को जलाता क्यूं है//१०
#shamawritesbebaak
©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
#love_shayari निगाह मे बसी उस तस्वीर को चूमता क्यूं है,गर है हिम्मत तो निकाह से तू जी चुराता क्यूं है//१
है डर बदनामी का,तो बात दिल की इक-दूजे को बताता क्यूं है,इश्क मे मेरी जाँ फिर दस्त बढ़ाता क्यूं है//२
जब हासिलें कुव्वत के भी हासिल न कर सके, तो अब जीत के हारी हुई बाज़ी पर पछताता क्यूं है//३
वसवसों के खाली-पीली महल बनाता क्यूं हैं,इस मानिंद तेरे ही इश्क़ को आजमाता क्यूं हैँ//४