मुस्कुराहट का मुखौटा
दर्द के चेहरे पे है...
भीगी पलकें, बहते आसूँ
जख़्म जो गहरे से है!!
मुस्कुराते लब है बाहर ...
जो बिलखते गीत है !
अनकहे एहसासों के,,,,
इस जख़्मी दिल के मीत है !!
है अजब सी दास्ताँ .....
जिसे चाहकर भी न कह सके,,
क़ैद होकर बेड़ियों में;
क्यों ये नारी ही रहे!!
✍Revolution of Thoughts
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