तुम बिन ये रात वीरानी सी लगती है
क्या तुमसे ही है मेरी राहत।
पक्षियों की चहचहाट में मै तुम्हे ढूंढ़ता हूं
हवा की सरसराहट में मै तुम्हे महसूस करता हूं।
तुम बिन ज़िन्दगी के पन्ने अधूरे से लगते है
क्या होगी मेरी ज़िन्दगी में तेरी आहट।
तुम बिन.............
पहाड़ों सी विशालता है मेरे विचारो में
कई बागो के फूलों की महक है मेरे विचारो में
ये मेरी रूहानियत है या तेरा मर्ज..
तुम बिन दिल में बेकरारी सी लगती है
क्या तुम्ही से हूं मैं आहत।
तुम बिन ज़िन्दगी में कुछ कमी सी लगती है
पता नहीं ये मेरा स्वभाव है या तेरी चाहत।
©Ranjeet Raj
तुम बिन
#MereKhayaal