क्या कहूँ मैं उस फ़रिश्ते को जो, तुम्हारा पैग़ाम | हिंदी Poetry

"क्या कहूँ मैं उस फ़रिश्ते को जो, तुम्हारा पैग़ाम लेकर आया था, पता नहीं था तुम तोहफ़े वापस दोगे, ये दिल तो तुम्हें देखने आया था, बातें पूरी होने से पहले चले गए, हम तो फिर भी आपकी आखिरी झलक देखने रुकते है, आपको हम हमेशा खुश दिखे, हँसी का मुखौटा लगाकर हम भी रोते हैं पर आखिरी लम्हों में कुछ अल्फाज़ सुना के जाता हूँ, तेरे बाद हाथ कौन थमेगा उसका नाम बता कर जाता हूँ। death........ ©chand alfaz"

 क्या कहूँ मैं उस फ़रिश्ते को जो, 
तुम्हारा पैग़ाम लेकर आया था, 
पता नहीं था तुम तोहफ़े वापस दोगे, 
ये दिल तो तुम्हें देखने आया था, 

बातें पूरी होने से पहले चले गए, 
हम तो फिर भी आपकी आखिरी झलक देखने रुकते है, 
आपको हम हमेशा खुश दिखे, 
हँसी का मुखौटा लगाकर हम भी रोते हैं 

पर आखिरी लम्हों में कुछ अल्फाज़ सुना के जाता हूँ, 
तेरे बाद हाथ कौन थमेगा उसका नाम बता कर जाता हूँ। 

death........

©chand alfaz

क्या कहूँ मैं उस फ़रिश्ते को जो, तुम्हारा पैग़ाम लेकर आया था, पता नहीं था तुम तोहफ़े वापस दोगे, ये दिल तो तुम्हें देखने आया था, बातें पूरी होने से पहले चले गए, हम तो फिर भी आपकी आखिरी झलक देखने रुकते है, आपको हम हमेशा खुश दिखे, हँसी का मुखौटा लगाकर हम भी रोते हैं पर आखिरी लम्हों में कुछ अल्फाज़ सुना के जाता हूँ, तेरे बाद हाथ कौन थमेगा उसका नाम बता कर जाता हूँ। death........ ©chand alfaz

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